Tuesday, August 28, 2012

याँदे


बस याँदे रह गई हैं उन पुराने दिनो की
उस पुराने स्कूल की
उस घंटी की जो हर आधे घंटे बाद बजती थी
उस टीचर की जिसकी क्लास कभी मिस नहीं की।

याद आता हैं मेरा वो कॅालेज
जहाँ सब यार दोस्त साथ थे
जहाँ जि़न्दगी थम सी गई थी
जहाँ रात में सूरज और दिन में चाँद निकलता था।

काश वो स्कूल कॅालेज के दिन वापस आ जाये
काश सारे यार दोस्त एक साथ एक जगह फिर से रह पाए
काश की एक बार जि़न्दगी फिर से थम जाए।

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