Tuesday, August 28, 2012

याँदे


बस याँदे रह गई हैं उन पुराने दिनो की
उस पुराने स्कूल की
उस घंटी की जो हर आधे घंटे बाद बजती थी
उस टीचर की जिसकी क्लास कभी मिस नहीं की।

याद आता हैं मेरा वो कॅालेज
जहाँ सब यार दोस्त साथ थे
जहाँ जि़न्दगी थम सी गई थी
जहाँ रात में सूरज और दिन में चाँद निकलता था।

काश वो स्कूल कॅालेज के दिन वापस आ जाये
काश सारे यार दोस्त एक साथ एक जगह फिर से रह पाए
काश की एक बार जि़न्दगी फिर से थम जाए।

Thursday, August 02, 2012

जाने कैसा होगा कल



जाने कैसा होगा कल- अच्छा या बुरा,
जाने मेरे चेहरे पे हँसी होगी या आँखों में आँसू
ऐ वक्त मुझे तू इतना तो बता दे।

जाने बाहार आयेगी या नहीं,
जाने कोई राही साथ होगा की नहीं,
ऐ वक्त मुझे तू इतना तो इतला कर।

कितने और इम्तेहाँ तुझे मेरे लेने हैं और बाकी,
कितने और पथरों से मुझे टकराना हैं और बाकी,
कितने और तूफांनो से मुझे उलझना हैं और बाकी,
ऐ वक्त क्या तू मुझसे रूठ सा गया हैं,
या मुझपे मेहेरबानीयाँ करके ऊब सा गया हैं।

जाने कैसा होगा कल- ऐ वक्त मुझे तू इतना तो बता दे।